Moksha saptami pujan
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मोक्ष सप्तमी पूजन
जैन धर्म के अनुसार मोक्ष सप्तमी के दिन भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया जाता है। दिगंबर एवं श्वेतांबर जैन मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना, शांतिधारा कर निर्वाण लाडू चढ़ाने की प्रथा है।
जैन धर्म के अनुसार जिसका मोक्ष हो जाता है उसका मनुष्य भव में जन्म लेना सार्थक हो जाता है। जब तक संसार है तब तक चिंता रहती है। जहां मोक्ष का पूर्णरूपेण क्षय हो जाता है। वहीं मोक्ष हो जाता है।
हमें अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए मोहरूपी शत्रु का नाश करना पड़ता है। अत: हमें सभी का सम्मान करना चाहिए। सब बड़ों के प्रति विनय भाव रखना चाहिए। क्योंकि विनय ही मोक्ष का द्वार है।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से मोक्ष सप्तमी पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है। तत्पश्चात मोक्ष सप्तमी पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से ग्रहस्थ जीवन मे सफलता, नौकरी व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
मोक्ष सप्तमी पूजन सामग्रीः
आरती
मोक्ष सप्तमी गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध मोक्ष फोटो
मोक्ष सप्तमी माला
तांत्रोक्त मोक्ष सप्तमी नारियल
मोक्ष सप्तमी पूजन की संपूर्ण विधि
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