Achala saptami pujan
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अचला सप्तमी पूजन
माघ मास की सप्तमी को जो व्यक्ति सूर्य की पूजा करके एक समय मीठा भोजन अथवा फलाहार करता है। उसे पूरे साल सूर्य की पूजा करने का पुण्य एक ही बार में प्राप्त हो जाता है। इस व्रत के महत्व के विषय में भविष्य पुराण में कहा गया है कि यह व्रत सौभाग्य, रूप और संतान सुख प्रदान करने वाला है।
माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी अथवा जलाशय में स्नान करके सूर्य को दीप दान करना उत्तम फलदायी माना गया है। प्रातः काल किसी अन्य के जलाशय में स्नान करने से पूर्व स्नान किया जाय तो यह बड़ा ही पुण्यदायी होता है। भविष्य पुराण में इस संदर्भ में एक कथा है कि एक गणिका ने जीवन में कभी कोई दान-पुण्य नहीं किया था।
दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से अचला सप्तमी पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव तथा कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है तत्पश्चात अचला सप्तमी पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से ग्रहस्थ जीवन मे सफलता, नौकरी व्यवसाय मे सफलता मिलती है।
अचला सप्तमी पूजन सामग्रीः
आरती बुक
अचला सप्तमी गुटिका
३ गोमती चक्र
सिद्ध अचला फोटो
अचला सप्तमी माला
तांत्रोक्त अचला सप्तमी नारियल
अचला सप्तमी पूजन की संपूर्ण विधि
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