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Varuthini ekadashi pujan

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वरुथिनी एकादशी पूजन

Baruthini ekadashi pujan/vrat date: Wednesday 15th april 2015

वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी वरूथिनी के नाम से प्रसिद्ध है। यह इस लोक और परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करने वाली है। वरूथिनी के व्रत से सदा सौख्य का लाभ तथा पाप की हानि होती है। यह सबको भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है।

वरूथिनी के व्रत से मनुष्य दस हजार वर्षो तक की तपस्या का फल प्राप्त कर लेता है। इस व्रत को करनेवालावैष्णव दशमी के दिन काँसे के पात्र, उडद, मसूर, चना, कोदो, शाक, शहद, दूसरे का अन्न, दो बार भोजन तथा रति-इन दस बातों को त्याग दे। एकादशी को जुआ खेलना, सोना, पान खाना, दातून करना, परनिन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा असत्य भाषण- इन ग्यारह बातों का परित्याग करे। द्वादशी को काँसे का पात्र, उडद, मदिरा, मधु, तेल, दुष्टों से वार्तालाप, व्यायाम, परदेश-गमन, दो बार भोजन, रति, सवारी और मसूर को त्याग दे।

दिव्ययोगशॉप के विशिष्ठ पंडित विधि-विधान से वरुथिनी एकादशी पूजन संपन्न करते है। इसमे पृथम गणेश पूजन के साथ गौरी, शिव , कार्तिकेय तथा भगवान विष्णू की पूजा संपन्न की जाती है। तत्पश्चात वरुथिनी एकादशी पूजन के बाद हवन संपन्न किया जाता है। इस पूजा से मोक्ष के साथ सभी मनोकामना पुरी होती है।

वरुथिनी एकादशी पूजन सामग्रीः

आरती बुक

वरुथिनी गुटिका

३ गोमती चक्र

सिद्ध वरुथिनी फोटो

वरुथिनी माला

तांत्रोक्त वरुथिनी नारियल

वरुथिनी एकादशी पूजन की संपूर्ण विधि

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