What is Rules of mantra japa?
मन्त्र जाप के क्या नियम है?
शरीर की शुद्धि आवश्यक है। अतः स्नान करके ही आसन ग्रहण करना चाहिए। साधना करने के लिए सफेद/पीले/भगवा कपड़ों का प्रयोग करना सर्वथा उचित रहता है।
साधना मन्त्र जाप के लिए कुश के आसन पर बैठना चाहिए क्योंकि कुश उष्मा का सुचालक होता है। और जिससे मंत्रोचार से उत्पन्न उर्जा हमारे शरीर में समाहित होती है।
मेरूदण्ड हमेशा सीधा रखना चाहिए, ताकि सुषुम्ना में प्राण का प्रवाह आसानी से हो सके।
साधारण जप में तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए। कार्य सिद्ध की कामना में चन्दन या रूद्राक्ष की माला प्रयोग हितकर रहता है।
ब्रह्रममुहूर्त में उठकर ही साधना करना चाहिए क्योंकि प्रातः काल का समय शुद्ध वायु से परिपूर्ण होता है। साधना नियमित और निश्चित समय पर ही की जानी चाहिए।
अक्षत, अंगुलियों के पर्व, पुष्प आदि से मंत्र जप की संख्या नहीं गिननी चाहिए।
मंत्र शक्ति का अनुभव करने के लिए कम से कम एक माला नित्य जाप करना चाहिए।
मंत्र का जप प्रातः काल पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए एंव सांयकाल में पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करना श्रेष्ठ माना गया है।