स्वाधिष्ठान चक्र को बैलेंस करे! स्वाधिष्ठान चक्र की समस्या और उपाय
स्वाधिष्ठान चक्र- इसे नेवल चक्र, नाभी चक्र भी कहते है. यह चक्र नाभी के बीच मे यानी मणीपुर चक्र के नीचे व मूलाधार चक्र के ऊपर स्थित होता है यह चक्र जल तत्व प्रधान होता है. इसका बीज मन्त्र "वं" माना जाता है. यह प्राणशक्ति को अपने आस-पास के शरीर के भाग मे प्रवाहित करता है. जिससे वे भाग चैतन्य रहते है. एक बच्चा मॉ से नाभी के माध्यम से जुडा रहता है वही से वह अपनी मा से मानसिक व अध्यात्मिक संस्कार लेता रहता है. यू कहे तो बच्चा मा से अच्छे बुरे संस्कार लेता रहता है. यही कारण है कि एक गर्भवती स्त्री को डॉक्टर टेंशन न लेने, अच्छी बाते सोचने व अच्छी बाते देखने के लिये कहते है.
यह चक्र जब सही तरह से चैतन्य होता है तब यह आपके विकास को रोकने वाले दुर्गुणो को जैसे आलस्य, भय, संदेह, बदला, ईर्ष्या और लोभ को नष्ट करने का कार्य करता है.
जब यह चक्र खराब हो जाता है या गलत ढंग से कार्य करता है..... तब शारीरिक व मानसिक समस्याये शुरु हो जाती है, जैसे....
- बुरी संगत, बुरे लोगो की संगत
- नशीले पदार्थो का सेवन
- व्यसन करना
- बुरी आदते
- पैर के पंजे, तलुवो मे दर्द
- सीखने की क्षनता कमजोर होना
- स्मरण समस्या
- गर्भधारण मे समस्या
- मासिकधर्म की समस्या
- भोजन का शरीर मे न लगना
- ठंडी चीज खाने से बिमार हो जाना
- सर्दी-जुखाम तथा छीक से हमेशा परेशान रहना
- नाभी का खिसक जाना
- किसी को सताने पर आनंद आना
- किसी की तकलीफ देखकर आनंद आना
- पेट से संबंधित सभी बिमारियां
इनमे से कोई भी समस्या का सामना आप कर रहे है या इनमे से कोई आदत है तो इसका मतलब यह है कि आपका स्वाधिष्ठान चक्र खराब है.
See- Swadhishthana chakra balancing
आइये अब जानते है कि इस चक्र को बैलेंस कैसे करते है....
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने स्वाधिष्ठान चक्र का चित्र ले ले. और दिवार पर लगा दे चिपका दे. अब अपने स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान देते हुये " वं" बीज मन्त्र का उच्चारण करे. " वं" बीज मन्त्र जल तत्व और स्वाधिष्ठान चक्र का बीज मन्त्र माना जाता है. इसलिये अपने स्वाधिष्ठान पर यानी नाभी स्थान पर ध्यान देते हुये " वं" बीज मंत्र का एक मिनट तक उच्चारण करते रहे. अब १० बार क्लीनिंग प्राणयाम करे यानी जोर से गहरी स्वास खीचे जितने देर तक हो सके रोक कर रखे. जब दम घुटने लगे तब श्वास धीरे-धीरे छोडे. इस तरह से यह १ प्राणायाम हुआ. ऐसे आपको १० प्राणायाम करना है.
यह अभ्यास कुछ दिन तक यानी कम से कम २१ दिन तक करे. ऐसा नियमित अभ्यास करने से स्वाधिष्ठान चक्र बैलेंस होना शुरु हो जाता है. यह अभ्यास आप तब तक चालू रखे जब तक आपको अपनी समस्या मे लाभ न मिलने लगे.
आशा है कि इस विधी का लाभ उठायेंगे...इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे