कामदेव अंतर त्राटक या कामदेव मानस ध्यान
आज हम जानेगे कि अपने अंदर कामदेव की क्षमता को कैसे लाये. कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। इनकी पत्नी का नाम रति है इनका असर इतना तेज होता है कि बडे से बडा कवच भी इनके प्रभाव को रोक नही पाता. ये अपने प्रभाव से किसी भी मानव, रिषी, मुनी, देव-दानव, यक्ष, तथा संसार के सभी लोगो की तपस्या को भंग करने की क्षमता रखता है. इनके बहुत से नाम है जैसे मदन, अनंग, पुष्पवान, कंदर्प ईत्यादि. ये भगवान श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के अवतार माने जाते है.
कामदेव के बारे मे एक कथा कही गयी है अपने पिता दक्ष के द्वारा भगवान शिव का अपमान करने के कारण माता सती ने वही यज्ञ कुंड मे अपने प्राण त्याग दिये. सती के वियोग मे भगवान शिव तपस्या मे लीन हो गये. वही सती दूसरे जन्म मे हिमवान की पुत्री पार्वती के रूप मे जन्म लिया. तब उन्होने भगवान शिव से विवाह करने के लिये भगवान शिव की आराधना शुरु की. लेकिन भगवान शिव की माता पार्वती की आराधना से कुछ भी फर्क नही पड रहा था, यह देखकर ब्रम्हा जी ने भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिये व हृदय मे माता पार्वती के प्रति प्रेम जगाने के उद्देश्य से कामदेव को कैलास पर्वत भेजा, कामदेव ने भगवान शिव पर पुष्प बाण चलाया, जिससे शिवजी की तपस्या भंग हो गयी पर वे क्रोधित हो गये और गुस्से मे उनका तीसरा नेत्र खुल गया और देखते ही देखते कामदेव भस्म हो गये. यह देखकर कामदेव की पत्नि रति विलाप करने लगी, रोने लगी और भगवान शिव से उनके पति को जीवित करने की विनंती करने लगी. जब भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ तब उन्होने रति से कहा कि वापस कामदेव को शरीर मे जीवित नही करूगा लेकिन ये लोगो के मस्तिष्क मे जीवित रहेगे.
यही कारण है कि कामेच्छा या काम की भावना लोगो के मस्तिष्क मे रहती है. अगर ये कामेच्छा निर्जीव हो जाय तब मानव भी निर्जीव जैसा ही हो जाता है.
आजके युग मे सुंदर दिखना कौन नही चाहता. चाहे वह स्त्री हो या पुरुष हो, हर ब्यक्ति चाहता है कि लोग उन्ही की सुने, उन्ही को माने, उन्ही को मान-सम्मान मिले, उन्ही को देखे. अगर हम पुरुष की बात करे तो पुरुष चाहता है सब स्त्री-पुरुष उसे देखकर, उसकी बातो को सुनकर तथा उससे मिलकर प्रभावित हो जाये. खासकर उनमे स्त्रियो को आकर्षित करने की चाहत ज्यादा रहती है. और स्त्री चाहती है कि उनका शरीर आकर्षक व सौंदर्य से भरा हो.सबके निगाहो मे वही हो.
इनमे से कुछ लोगो के अंदर प्राकृतिक रुप मे ये क्षमताये पहले से ही मौजूद होती है. इसलिये वे जिस क्षेत्र मे भी जाते है उस क्षेत्र मे अपना प्रभाव दूसरो पर डालते रहते है और तरक्की करते रहते है.... लेकिन बहुत बडी संख्या मे स्त्री और पुरुष के अंदर ये क्षमता नही होती. इससे वे अपने जीवन मे कुछ कमी महसूस करते रहते है. सही ढंग से तरक्की न कर पाने की वजह ये हीन-भावना के शिकार होने लगते है. और आज के प्रतिष्पर्धा से भरी दुनिया मे वे पिछडने लगते है.
आईये जानते है कि कामदेव का स्थान कहा-कहा पर होता है....
- कामदेव का स्थान स्त्री मे होता है
- सुंदर-सुगंधित फूलो मे
- गीत मे
- संगीत मे
- पक्षियो कि मीठी-मीठी आवाज मे
- बसंत के महीने मे
- आकर्षक वस्त्रो मे
- खूबसूरत आभूषणो मे
- कामुक ब्यक्ति की संगति मे
- शरीर मे कपडो के अंदर छुपे अंगो मे
- मंद मंद हवा मे
- सुण्दर स्थान मे
- झरने के पास मे
- इसके अलावा,,,,स्त्री मे खासकर ऑखे, माथा, भौहे, गाल तथा होठो पर कामदेव का विशेष स्थान माना जाता है.
अब हम बात करेगे कामदेव मानस ध्यान के लाभ की.
- यह स्त्रियो को भरपूर यौवन प्रदान करता है
- पुरुषो मे आकर्षक ब्यक्तित्व बनाता है
- समाज में अपनी प्रतिष्ठा बढाने का मौका प्रदान करता है
- आपकी बातो मे या हाव-भाव जबर्दस्त आकर्षण छुपा रहता है.
- यह एंटी-एजिंग शक्ति प्रदान करता है यानी उम्र का प्रभाव शरीर पर कम होता है.
- आपको सुंदर, आकर्षक दिखने मे मदत करता है.
- हीन-भावना दूर कर आत्मविश्वास को बढाता है.
- यौन क्षमता मे बृद्धी
- यौन समस्या मे लाभ
- गुप्त अंग की समस्या से लाभ
- ठंडेपन की समस्या से लाभ
अब जानते है कि कामदेव अंतर त्राटक या कामदेव मानस ध्यान कैसे करे.
एक शांत कमरे का चुनाव करे. दरवाजे की घंटी, मोबाईल फोन को बंद कर दे ढीले-ढाले वस्त्र पहने. एक कुर्सी पर या, जमीन पर आसन बिछाकर बैठ जाय. अपने ठीक सामने माता कामदेव की मुर्ती या चित्र को रखे. अब अपने आज्ञा चक्र को पिंच करे और कामदेव बीज मन्त्र "क्लीं कामदेवाय नमः" का उचारण १ मिनट तक करे. अब एकटक कुछ सेकेंड उस चित्र या मुर्ती को देखते रहे. और आख बंद कर ले, और उस मुर्ती को या चित्र को अपने आखो के सामने लाने का प्रयास करे. आप देखेंगे कि कुछ सेकेंड के लिये वह चित्र या मुर्ती आपके आखो के सामने दिखाई देगी, फिर गायब हो जायेगी. पहले दिन यह अभ्यास ५-६ मिनट तक करना है.
अब दूसरे दिन पुनः निश्चित समय पर अभ्यास शुरु करे. अब अपने दोनो आखो के बीच यानी आज्ञा चक्र पर पिंच करे और १ मिनट तक कामदेव बीज "क्लीं कामदेवाय नमः" का उच्चारण करे.. अब उस चित्र को या मुर्ती को अपने आखो के सामने लाने का पुनः अभ्यास करे....
इस तरह से आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका अभ्यास बढता जायेगा वैसे - वैसे आखे बंद करने के बाद माता बगलामुखी का चित्र ज्यादा समय के लिये आपके सामने टिकना शुरु हो जायेगा. बस यही आपको चाहिये. जब आपका अभ्यास २१ से २५ दिन का हो जाय तो आप देखेंगे कि वह मुर्ती या चित्र आपकी आखो के सामने २ से ३ मिनट तक टिकना शुरु हो जायेगा.
याद रखे ये चित्र या मुर्ती शुरुवात मे सिर्फ कुछ सेकेंड के लिये ही आपके आखो के सामने दिखाई देगा. लेकिन जब २ से ३ मिनट तक दिखाई देने लगे तो यह मान कर चलिये कि आपने बहुत ही अच्छा अभ्यास किया है. ऐसा करने से कामदेव की जो खासियत है, या जो गुण है वह आपके अंदर आने शुरु हो जाते है. यानी आपकी बात-चीत का प्रभाव दूसरे होना शुरु हो जाता है, आपके चेहरे पर तेज आना शुरु हो जाता है. आप जिससे भी मिलेगे उसे आप प्रभावित कर देंगे. यह अभ्यास आप रोज करते रहे.
अब हम जानेंगे कि इसका उपयोग कैसे करते है.
अगर आपकी कोई मनोकामना है तो सबसे पहले चंदन की लकडी का छोटा टुकडा अपने हाथ मे ले और १ मिनट तक "क्लीं कामदेवाय नमः" का उच्चारण करे. जब कामदेव का प्रतिबिम्ब आपकी आखो के सामने आ जाय तब आप अपनी मनोकामना अपने मन मे करे. और वह चंदन का टुकडा घर के मंदिर मे रख दे.
याद रखे सिर्फ सही और उचित कार्य के लिये इस विधि का उपयोग करे, गलत नियत से किया गया कार्य नुकसान पहुचाता है. आगे और भी विधि है लेकिन यह बताई नही जा रही है.
अब कुछ जरूरी बाते....
- कामदेव बहुत ही स्ट्रांग- पॉवरफुल देवता माने जाते है, इसलिये पूर्ण श्रद्धा होने पर ही इस विधि को अपनाये
- इस अभ्यास मे जैसे-जैसे सफलता मिलती जायेगी वैसे-वैसे आपका स्वभाव मधुर होता चला जाना चाहिये
- आपके स्वभाव मे घमंड आते ही इस अभ्यास का असर खत्म होना शुरु हो जाता है
- कोई आपको बला-बुरा या गाली भी दे तो अपना नियंत्रण न खोये.
- गलत नियत से कभी भी कोई कार्य न करे.
- इस अभ्यास के द्वारा आप दूसरे की समस्या भी मदत कर सकते है.
- इस अभ्यास मे दिक्षा की जरूरत नही होती.
आशा है आप इन विधियो को अपनायेंगे और अपने जीवन मे सफल होगे. इसलिये पूर्ण श्रद्धा के साथ अभ्यास करे