भगवान कुबेर चालीसा का पाठ किसी भी गुरुवार या शुक्रवार से नियमित ३/५/७/११ पाठ करे व जीवन मे धन सुख ऐश्वर्य पाये.
॥ दोहा॥
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर
॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी ।
धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥ स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी ।
सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥ यक्ष यक्षणी की है सेना भारी ।
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥ महा योद्धा बन शस्त्र धारैं ।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥ सदा विजयी कभी ना हारैं ।
भगत जनों के संकट टारैं ॥ प्रपितामह हैं स्वयं विधाता ।
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥ विश्रवा पिता इडविडा जी माता ।
विभीषण भगत आपके भ्राता ॥ शिव चरणों में जब ध्यान लगाया ।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥ शिव वरदान मिले देवत्य पाया ।
अमृत पान करी अमर हुई काया ॥ धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में ।
देवी देवता सब फिरैं साथ में ।
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ॥
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥ स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं ।
त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥ शंख मृदंग नगारे बाजैं ।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥ चौंसठ योगनी मंगल गावैं ।
ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं ॥ दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥ ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं ।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥ पुरुषोंमें जैसे भीम बली हैं ।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥ भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं ।
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥ नागों में जैसे शेष बड़े हैं ।
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥ कांधे धनुष हाथ में भाला ।
गले फूलों की पहनी माला ॥ स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला ।
दूर दूर तक होए उजाला ॥ कुबेर देव को जो मन में धारे ।
सदा विजय हो कभी न हारे ।।
बिगड़े काम बन जाएं सारे ।
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥ कुबेर गरीब को आप उभारैं ।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥ कुबेर भगत के संकट टारैं ।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥ शीघ्र धनी जो होना चाहे ।
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥ यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं ।
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥ भूत प्रेत को कुबेर भगावैं ।
अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥ रोग शोक को कुबेर नशावैं ।
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥ कुबेर चढ़े को और चढ़ादे ।
कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥ कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे ।
कुबेर भूले को राह बता दे ॥ प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥ रोगी का रोग कुबेर घटा दे ।
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥ बांझ की गोद कुबेर भरा दे ।
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥ कारागार से कुबेर छुड़ा दे ।
चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥ कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।
जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥ चुनाव में जीत कुबेर करावैं ।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥ पाठ करे जो नित मन लाई ।
उसकी कला हो सदा सवाई ॥ जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई ।
उसका जीवन चले सुखदाई ॥ जो कुबेर का पाठ करावै ।
उसका बेड़ा पार लगावै ॥ उजड़े घर को पुन: बसावै ।
शत्रु को भी मित्र बनावै ॥ सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई ।
सब सुख भोद पदार्थ पाई ॥ प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई ।
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥
॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी, श्री यक्षराज कुबेर ।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर, कर दो दूर अंधेर
॥ कर दो दूर अंधेर अब, जरा करो ना देर ।
शरण पड़ा हूं आपकी, दया की दृष्टि फेर ।
॥ इति श्री कुबेर चालीसा ॥