अपनी सकारात्मक उर्जा को बढाये!
पूर्व जन्म मे किये गये कर्मो के आधार पर ही इस जन्म मे ब्यक्ति नकारात्मक व साकारात्मक उर्जा को लेकर जन्म लेता है. नकारात्मक व सकारात्मक उर्जा का अर्थ है नेगेटिव व पॉजीटिव एनर्जी. इस उर्जा के अनुरूप ही ब्यक्ति का स्वभाव बनता है. जैसे नकारात्मक उर्जा से ब्यक्ति मे घमंड, डर, निराशा, लोभ, क्रोध, स्वार्थ तथा सकारात्मक उर्जा से प्रेम, दया, आत्मविश्वास, प्रबल ईच्छाशक्ति, समाज सेवा, भक्ति, गुरु सेवा ई. स्वभाव बनता है इन दोनो उर्जाओ को ब्यक्ति अपने वाणी से, स्वभाव से तथा कर्म से मजबूत करता रहता है. यानी नकारात्मक उर्जा ब्यक्ति मे डर, निराशा, लोभ, क्रोध, स्वार्थ, बुरी आदते, ब्यसन ई को दिनो दिन बढाती रहती है. और सकारात्मक उर्जा यानी पॉजीटिव एनर्जी दया, प्रेम, आत्मविश्वास, मनोबल, इच्छा शक्ति, भक्ति ईत्यादि को दिनो दिन बढाती रहती है. नकारात्मक उर्जा से ब्यक्ति का धीरे धीरे पतन होना शुरु हो जाता है. और सकारात्मक उर्जा से ब्यक्ति सफलता की ऊचाइयो पर पहुचना शुरु हो जाता है.
अब पृश्न यह उठता है कि कैसे हम अपनी नकारात्मक उर्जा को सकारात्मक उर्जा मे बदले... यहॉ यह आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सी उर्जा को बढावा दे रहे है.
सबसे पहले आप अपने आप का विश्लेषण करे यानी अपने आपको जाने कि आप कौन सी उर्जा को बढावा दे रहे है. अगर आप मे घमंड, लोभ, वाद विवाद, संघर्ष, विरोध, असहमति, अहंकार, घृणा, संकुचित मानसिकता ईत्यादि आदते है या इनमे से कोई आदत है तो आप नकारात्मक उर्जा को बढावा दे रहे है. इससे ये समस्या दिनो दिन बढती ही जायेगी. .... तो आइये जाने कि कैसे हम सकारात्मक उर्जा का निर्माण करे...
ये कुछ उपाय आपको सकारात्मक उर्जा बढाने मे मदत कर सकते है..... जिससे आपके अंदर प्रेम, शान्ति, सुखद सम्बन्ध, अच्छी कार्य क्षमता, अच्छी समझ, ज्ञान और आनंद की बढोतरी हो सके. क्योकि यही सकारात्मक उर्जा आगे चलकर कुंडलिनी शक्ति के जागरण मे मदत करती है.
See how to increase your positive energy
- रोज धार्मिक पुस्तको का अध्यन करे.
- अपनी क्षमता अनुसार किसी की मदत अवश्य करो.
- कही सत्संग हो तो उसमे शामिल हो.
- सबसे नम्र होकर बात करे.
- बिपरीत परिस्थिती मे भी अपने मन यानी स्वभाव पर नियंत्रण रखे.
- जो दोस्त आपको मोटीवेट करते है यानी जो आपको हौसला देते है, उनकी ही संगत करे.
- यह मान कर चले कि दुनियॉ मे ऐसा कोई काम नही है, जो आसानी से सफल हो जाये. इसलिये किसी भी तरह की अडचन आती है, तो मै उसका सामना करुंगा. ऐसी भावना रखे.
- जरूरी नही है कि आप रोज धार्मिक पुस्तके या रोज सत्संग मे शामिल हो, आप सिर्फ अच्छे कर्म करो यही बहुत है, क्योकि अच्छे कर्म मे ही ईश्वर बसते है.
याद रखे निगटिव उर्जा को पॉजीटिव उर्जा मे बदलना आसान नही होता, क्योकि निगेटिव उर्जा आसानी से शरीर मे प्रवेश कर जाती है लेकिन हठी स्वभाव की वजह से जल्दी निकलती नही. यही कारण है जब आप कुछ अच्छे कर्म करने की कोशिश करते है या ध्यान - धारना करते है, तो नकारात्मक उर्जा ब्यवधान उत्पन्न करती है... क्योकि नकारात्मक उर्जा का काम है समस्याये पैदा करना तथा सकारात्म उर्जा यानी पॉजीटिव एनर्जी का काम है समस्याओ को समाप्त करना. इसलिये जब आप ध्यान - धारणा या अच्छे कर्म करने की कोशिश करते है तो नकारात्मक उर्जा उस काम को न करने के लिये दबाव डालती है.
इसलिये जब आप धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन, सत्संग, मन्त्र जाप, निःस्वार्थ सेवा और अन्य सकारात्मक कर्म करेगे तो नकारात्मक उर्जा के कारण ब्यवधान अवश्य उत्पन्न होगा लेकिन अपनी प्रबल शक्ति से अपने मार्ग मे बढते रहे तो धीरे-धीरे नकारात्मक उर्जा कम होनी शुरु हो जायेगी और आप अपने क्षेत्र मे, कार्य मे सफल होना शुरु हो जायेगे या आपकी मनोकामना पूरी होनी शुरु हो जायेगी.
आशा है कि आप इन नियमो का पालन करेगे तथा अपने जीवन को सुखमय बनायेग